Predefined Colors

    क्या पूजा, मंत्र जाप से ग्रहो की अशुभता को दूर किया जा सकता है

    ग्रहों को करना है अपने बस में तो करें ये चमत्कारी उपाय (How to make Navagrahas favourable)

    Navgrah ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य, गुरु, मंगल, बुध, शुक्र, शनि, चंद्रमा और राहु-केतु, को नवग्रह कहा जाता है।  ज्योतिष में नौ ग्रह बताएं गए हैं जिनकी चाल का सीधा असर व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। किसी व्यक्ति की कुंडली को देखकर ग्रहों की स्थिति का विचार किया जाता है। कुंडली में ग्रह कमजोर होते हैं तो व्यक्ति को बुरे परिणाम प्राप्त होते हैं। मान्यता है कि ग्रहों की स्थिति अगर शुभ हो तो जीवन आनंदमय व्यतीत होता हैं।

    ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक ग्रह अपना अलग-अलग फल प्रदान करता है। ज्योतिष शास्त्र में इनसे जुड़े न केवल उपाय बताए गए बल्कि इनसे जुड़े कई मंत्रों के बारे में वर्णन किया गया है। आज आचार्य मुरारी पांडेय जी आपको अपनी वेबसाइट के माध्य से नवग्रह के मंत्रों के बारे में भी बताने जा रहे हैं, जिनका जप करने से व्यक्ति अपनी कुडंली में स्थित ग्रहों के प्रभाव में सुधार ला सकता है। तो अगर आपके कुंडली में भी किसी ग्रह ही स्थिति कमजोर हैं और आपको इसके कारण जीवन में कई परेशानियां का सामना  करना पड़ रहा है तो बता दें निम्न बताए गए नवग्रह मंत्र आपके लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकते हैं। Navgrah Mantra Jaap Vidhi:  किसी व्यक्ति की कुंडली को देखकर ग्रहों की स्थिति का विचार किया जाता है। आचार्य मुरारी पांडेय जी के अनुसार जन्मपत्री (कुंडली) में जब ग्रह कमजोर होते हैं तो व्यक्ति को उससे संबंधित बुरे परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं जब ग्रह मजबूत होते हैं तो जातकों को उसका प्रत्यक्ष लाभ भी मिलता है। हालांकि ग्रहों को मजबूत बनाने के लिए उपाय भी बताए गए हैं और इनमें सबसे ज्यादा कारगर उपाय हैं ग्रहों से जुड़े मंत्रों का जाप।

    सूर्य ग्रह- sun

    center
    सूर्य ग्रह

    ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा कहा गया है। जीवन में सुख-संपत्ति और साहस को कायम रखने के लिए सूर्यदेव की कृपा पाना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी जातक की कुंडली में सूर्य की दशा न सिर्फ उसकी सेहत, संपत्ति एवं सुख-शांति पर असर डालती है बल्कि उसे राजा से रंक बनाने का भी माद्दा रखती है। जन्मांग में ग्रहों का राजा यदि सूर्य मजबूत अवस्था में हो, तो जातक राजा, मंत्री, सेनापति, प्रशासक, मुखिया, धर्म संदेशक आदि बनाता है। लेकिन यदि सूर्य कुंडली में निर्बल अवस्था में हो तो वह शारीरिक तथा सफलता की दृष्टि से बड़ा ही खराब परिणाम देता है।  सूर्य मजबूत करने के लिए तांबे के लोटे से सूरज को जल चढ़ाएं और साथ में गायत्री मंत्र का जप करें। सूर्य की स्थिति को सही  रखने के लिए निम्न मंत्र का जप करें।
     ”ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:”

    चंद्र ग्रह- Moon

    center
    चंद्र ग्रह

    ज्योतिषों द्वारा बताया गया है कि चंद्रमा मन का कारक है। जो मन को नियंत्रित करता है। नवग्रहों में चंद्र देवता को माता और मन का कारक माना जाता है। कुंडली में चन्द्र ग्रह की अशुभता का मनुष्य के मन पर पूरा प्रभाव पड़ता है। चंद्र दोष के कारण घर में कलह, मानसिक विकार, माता—पिता की बीमारी, दुर्बलता, धन की कमी जैसी समस्याएं सामने आती हैं। चंद्र देव की शुभता पाने और उनसे जुड़े दोष दूर करने के लिए जितना ज्यादा हो सके साफ-सफाई पर ध्यान दें। जब चंद्रमा अशुभ स्थिति में होता है तो मानसिक परेशानियां बढ़ जाती हैं, ऐसे में चंद्र की स्थिति को शुभ करने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। साथ ही नीचे दिए गए मंत्र का जप करें।
    ”ॐ सों सोमाय नम:”

    मंगल ग्रह- Mars

    center
    मंगल ग्रह

    ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार मंगल ग्रह को सेनापति ग्रह कहा जाता है। साहसी और पराक्रमी पृथ्वी पुत्र मंगल को ग्रहों का सेनापति माना गया है। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक किसी भी व्यक्ति में ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखने के लिए मंगल दोष के प्रभाव को दूर करना अत्यंत आवश्यक होता है। शनि की तरह मंगल ग्रह की अशुभता से आमतौर पर लोग डरते हैं। जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में यह ग्रह शुभ स्थिति में हो तो साहस, पराक्रम मनुष्य में बढ़ जाता है। तो वहीं अगर अशुभ स्थिति में हो व्यक्ति के स्वभाव में क्रोध बढ़ जाता है इसलिए इसके प्रभाव को कम करने के लिए हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा एवं आगे बताए गए मंत्र का जाप करना चाहिए।
    ”ॐ अं अंगारकाय नम:”

    बुध ग्रह- Mercury

    center
    बुध ग्रह

    ज्योतिषों के द्वारा बुध को किशोर व राजकुमार ग्रह माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध बुद्धि, व्यापार, त्वचा एवं धन का ग्रह है। बुध ग्रह का रंग हरा है। वह नौ ग्रहों में शारीरिक रूप से सबसे कमजोर और बौद्धिक रूप में सबसे आगे है। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति के लिए बुधदेव की कृपा और शुभता अत्यंत जरूरी है। यदि आपकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है या फिर नीच का हो तो आप बुध ग्रह की शुभता पाने के लिए बुध के बीज मंत्र का जाप करें। जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध अशुभ स्थिति में होता है उसे नियमित रूप से बुधवार के दिन गणपति बप्पा की आराधना करनी चाहिए साथ ही साथ इस मंत्र का उच्चारण करें।
    ”ॐ बुं बुधाय नम:”

    गुरु ग्रह- Jupiter

    center
    गुरु ग्रह-

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरू अर्थात बृहस्पति ग्रह सफलता व समृद्धि के कारक हैं। ज्योतिष में देवताओं के गुरु बृहस्पति को एक शुभ देवता और ग्रह माना गया है। बृहस्पति के शुभ प्रभाव से सुख, सौभाग्य, लंबी आयु, धर्म लाभ आदि मिलता है। आमतौर पर देवगुरु बृहस्पति शुभ फल ही प्रदान करते हैं, लेकिन यदि कुंडली में यह किसी पापी ग्रह के साथ बैठ जाएं तो कभी-कभी अशुभ संकेत भी देने लगते हैं। कुंडली में इनकी खराब स्थिति व्यक्ति को कई तरह से प्रभावित करती है। बताया जाता है कि गुरू को मजबूत करने के लिए बृहस्पतिवार यानि गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए ऐसे में बृहस्पति की कृपा पाने और इनसे जुड़े दोष को दूर करने के लिए  प्रतिदिन तुलसी या चंदन की माला से ‘ निम्नलिखत मंत्र का 108 बार जप अवश्य करे।
    ”ॐ बृं बृहस्पतये नम:”

    शुक्र ग्रह- Venus

    center
    शुक्र ग्रह

    ज्योतिष में शुक्र ग्रह को जीवन से जुड़े सभी भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक माना गया है। शुक्र ग्रह से ही किसी जातक के जीवन में स्त्री, वाहन, धन आदि का सुख सुनिश्चित होता है। कुंडली में शुक्र मजबूत होने पर इन सभी सुखों की प्राप्ति होती है लेकिन अशुभ होने पर तमाम तरह के आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। दांपत्य जीवन के सुख का अभाव रहता है। शुक्र ग्रह सुख-सौन्दर्य एवं प्रेम जीवन से संबंध रखता है। इस ग्रह के अशुभ होने से व्यक्ति के जीवन में सुख-सुविधाएं की कम होने लगती हैं। शुक्र ग्रह को अनुकूल करने के लिए दान पुण्य का कार्य करना चाहिए। इसके अलावा इत्र का प्रयोग भी किया जा सकता है। इनकी स्थिति को शुभ करने के लिए निम्न मंत्र का जप करना लाभदायक साबित हो सकता है।
    ”ॐ शुं शुक्राय नम:”

    शनि ग्रह- Saturn

    center
    शनि ग्रह

    ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर ग्रह कहा गया है। तो वहीं इन्हें न्याय प्रिय देव का दर्जा भी प्राप्त है। कुंडली में शनि ऐसे देव हैं जिनसे अक्सर लोग डरते हैं। जबकि शनि कर्म के देवता हैं और आपके किए गए कार्य का फल जरूर देते हैं। यदि आपकी कुंडली में शनि दोष है तो आप उसे दूर करने के लिए सबसे पहले अपने अपने व्यवहार में जरूर परिवर्तन लाएं। विशेष रूप से अपने माता-पिता का सम्मान और उनकी सेवा करें। साथ ही शनिदेव से जुड़े मंत्रों का जाप करें। शनिदेव के ये मंत्र काफी प्रभावी है। शनिदेव को समर्पित इस मंत्र को श्रद्धा के साथ जपने से निश्चित रूप से आपको लाभ होगा। शनि धीमी गति से राशियों में भ्रमण करते हैं, जिसके कारण इनकी साढ़ेसाती और ढैय्या लगती है। जिसके चलते व्यक्ति को कई परेशानियों से जूझना पड़ता है। अतः शनि की अशुभता को दूर करने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीप जलाते हुए ठीक नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
    ”ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:”
    “ॐ शं शनैश्चराय नमः”।

    राहु ग्रह- Rahu

    center
    राहु ग्रह

    ज्योतिष शास्त्र में राहु को पाप ग्रह कहा गया है। कुंडली में राहु और केतु छाया ग्रह हैं। कुंडली में यदि राहु अशुभ स्थिति में है तो व्यक्ति को आसानी से सफलता नहीं मिल पाती है और परेशानियां बनी रहती है। कुंडली में इस ग्रह को राहु के दोष को दूर करने के लिए इसके मंत्र का जाप करने पर शुभ फल प्राप्त होते हैं। इसके अशुभ होने के कारण व्यक्ति के हर काम में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं। तथा जीवन में अन्य कई कष्टों का सामना करना पड़ता है। राहु को शांत रखने के लिए शिव शंभू की पूजा सबसे लाभकारी मानी जाती है। साथ ही साथ निम्न मंत्र समस्याओं का निवारण करने में सहयोगी होता है।
    ”ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:”

    केतु ग्रह- Ketu

    center
    केतु ग्रह

    ज्योतिष के अनुसार केतु को सर्प का धड़ माना गया है। केतु ग्रह को एक रहस्यमय ग्रह माना गया है। गौरतलब है कि बगैर सिर के धड़ को कुछ दिखाई नहीं देता कि क्या किया जाए और क्या नहीं। यही कारण है कि केतु ग्रह के दोष के कारण अक्सर व्यक्ति भ्रम का शिकार होता है। जिसके कारण उसे तमाम परेशानियां झेलनी पड़ती है। केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सबसे पहले आप अपने बड़े-बुजुर्ग की सेवा करना प्रारंभ कर दें। ज्योतिषी बताते हैं मनुष्य जीवन में अचानक से होने वाली घटनाओं का संबंध केतु से होता है। केतु की शांति के लिए भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए तथा अनुकूलता के लिए नीचे दिया गए मंत्र का जप करना चाहिए।
    ”ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:”

    आचार्य मुरारी पांडेय जी

    ।।। जय सियाराम।।।

     

    अपनी व्यक्तिगत समस्या के निश्चित समाधान हेतु समय निर्धारित कर ज्योतिषी आचार्य मुरारी पांडेय जी से संपर्क करे| हमआपको निश्चित समाधान का आश्वासन देते है|

    हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कीजिये और उसका screenshot हमे भेजिए ( WhatsApp : +91 – 9717338577 ) और पाईये निशुल्क संपूर्ण जन्म कुंडली हिंदी या English में।

    Trusted Since 2000

    Trusted Since 2005

    Millions of Happy Customers

    Millions of happy Customers

    Users from Worldwide

    Users from Worldwide

    Effective Solutions

    Effective Solutions

    Privacy Guaranteed

    Privacy Guaranteed

    Safe and Secure

    Safe and Secure